कुन फ़यक़ून का मतलब

 कुन फ़यक़ून का मतलब

खुर्शीद इमाम

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क़ुरान में "कुन फ़यक़ून" का मतलब:

परिचय: क़ुरान में 8 स्थानों पर "कुन फ़यक़ून" का उल्लेख किया गया है, जिसका अर्थ है, "हो जाओ! और वह हो जाता है।" इसे अक्सर यह समझा जाता है कि अल्लाह किसी चीज़ को तुरंत कर देते हैं। लेकिन गहराई से समझने पर पता चलता है कि यह प्रकिया के तहत होने की बात करता है, जो अल्लाह के तयशुदा क़ानूनों के अनुसार होती है।

उदाहरण:

A. "कुन फ़यक़ून" और आसमानों व ज़मीन की रचना:

आयत: "بَدِيعُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَإِذَا قَضَى أَمْرًا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُ كُنْ فَيَكُونُ" (क़ुरान 2:117)

यह आयत आसमानों और ज़मीन की रचना के बारे में है। क़ुरान में कहा गया है कि यह रचना छह यौम (समय-अवधियों) में पूरी हुई (क़ुरान 10:3, 25:59)। इसका मतलब यह है कि ब्रह्मांड की रचना एक लंबी प्रक्रिया से होकर गुज़री। यहाँ "कुन फ़यक़ून" का मतलब यह है कि ब्रह्मांड अल्लाह के तयशुदा क़ानूनों और समयावधियों के मुताबिक बना।

B. "कुन फ़यक़ून" और ईसा (अ.स.) का जन्म:

आयत: "قَالَتْ رَبِّ أَنَّى يَكُونُ لِي وَلَدٌ وَلَمْ يَمْسَسْنِي بَشَرٌ قَالَ كَذَلِكِ اللَّهُ يَخْلُقُ مَا يَشَاءُ إِذَا قَضَى أَمْرًا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُ كُنْ فَيَكُونُ" (क़ुरान 3:47)

ईसा (अ.स.) के बिना पिता के जन्म को अल्लाह ने "कुन फ़यक़ून" से मुमकिन किया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनका जन्म तुरंत हुआ। गर्भ धारण और विकास की पूरी प्राकृतिक प्रक्रिया हुई। यह फिर से दर्शाता है कि "कुन फ़यक़ून" में प्रक्रिया का महत्व है।

क़ुरान में "कुन फ़यक़ून" का उल्लेख:

  1. क़ुरान 2:117 – आसमानों और ज़मीन की रचना।
  2. क़ुरान 3:47 – मरियम (अ.स.) से ईसा (अ.स.) का जन्म।
  3. क़ुरान 3:59 – आदम (अ.स.) की रचना।
  4. क़ुरान 6:73 – अल्लाह की शक्ति।
  5. क़ुरान 16:40 – चीज़ों के होने का आदेश।
  6. क़ुरान 19:35 – अल्लाह की महानता।
  7. क़ुरान 36:82 – इंसान और प्रकृति की रचना।
  8. क़ुरान 40:68 – जीवन और मृत्यु।

1. क़ुरान 2:117

"आसमानों और ज़मीन की रचना का मूल उनके पास है। जब वह किसी चीज़ का आदेश देते हैं, तो कहते हैं, 'हो जाओ!' और वह हो जाती है।"
(बदीअुस-समावाति वल-अर्दि व इज़ा क़ज़ा अमरन फ़-इन्नमा यक़ूलु लहू कुन फ-यक़ून)


2. क़ुरान 3:47

मरियम ने कहा, "हे मेरे पालनहार! मेरे संतान कैसे होगी, जबकि मुझे किसी पुरुष ने छुआ तक नहीं?" (फ़रिश्ते ने) कहा, "अल्लाह ऐसा ही करते हैं, जो वह चाहते हैं। जब वह किसी चीज़ का आदेश देते हैं, तो कहते हैं, 'हो जाओ!' और वह हो जाती है।"
(क़ालत रब्बि अन्ना यकूनु ली वलदुन व-लम यमसस्नी बशरुन, क़ाल कज़ालिकिल्लाहु यख़्लुकु मा यशाउ इज़ा क़ज़ा अमरन फ़-इन्नमा यक़ूलु लहू कुन फ-यक़ून)


3. क़ुरान 3:59

ईसा (अलैहिस्सलाम) का उदाहरण अल्लाह के नज़दीक आदम के समान है। उन्हें मिट्टी से बनाया, फिर कहा, "हो जाओ!" और वह हो गए।
(इन्न मसल ईसा इंदल्लाहि कमसल आदम खलक़हु मिन तुराबिन, थुम्म क़ाल लहू कुन फ-यक़ून)


4. क़ुरान 6:73

और वही हैं जिन्होंने आसमानों और ज़मीन को सच्चाई के साथ बनाया। और जिस दिन वह कहेंगे, "हो जाओ!" और वह हो जाएगी...
(व-हुवल्लज़ी खलक़स-समावाति वल-अर्द बिल-हक़, व-यौम यक़ूलु कुन फ-यक़ून)


5. क़ुरान 16:40

हमारी बात बस इतनी होती है कि जब हम किसी चीज़ को चाहें, तो उससे कह देते हैं, "हो जाओ!" और वह हो जाती है।
(इन्नमा क़ौलुना लि-शैइज़ा अरद्नाहु अन्नक़ूल लहू कुन फ-यक़ून)


6. क़ुरान 19:35

यह अल्लाह के लिए उचित नहीं है कि वह किसी को अपना बेटा बनाए। वह पवित्र हैं। जब वह किसी चीज़ का आदेश देते हैं, तो कहते हैं, "हो जाओ!" और वह हो जाती है।
(मा कान लिल्लाहि अय्यत्तख़िज़ मिन वलद, सुभानहु इज़ा क़ज़ा अमरन फ़-इन्नमा यक़ूलु लहू कुन फ-यक़ून)


7. क़ुरान 36:82

निश्चय ही, जब वह किसी चीज़ का इरादा करते हैं, तो उनका आदेश होता है, "हो जाओ!" और वह हो जाती है।
(इन्नमा अमरहु इज़ा अरादा शैअन अय्यक़ूल लहू कुन फ-यक़ून)


8. क़ुरान 40:68

वही हैं जो जीवन देते हैं और मृत्यु देते हैं। और जब वह किसी चीज़ का निर्णय करते हैं, तो कहते हैं, "हो जाओ!" और वह हो जाती है।
(हुवल्लज़ी युह़यी व युमीतु फ़-इज़ा क़ज़ा अमरन फ़-इन्नमा यक़ूलु लहू कुन फ-यक़ून)

निष्कर्ष:

"कुन फ़यक़ून" का मतलब है कि जब अल्लाह किसी चीज़ को हुक्म देते हैं, तो वह चीज़ उनके तयशुदा क़ानूनों और प्रक्रियाओं के तहत होती है। यह तुरंत घटने के बजाय, प्राकृतिक और व्यवस्थित प्रक्रिया के तहत होता है।

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