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क्यों खुद ही इस्लाम का मज़ाक़ उड़ाते हैं हम

क्यों खुद ही इस्लाम का मज़ाक़ उड़ाते हैं हम खुर्शीद इमाम की कलम से .... ***************************************** A . परिचय .....  ये हराम है इस्लाम में । ......... ये करने की इजाज़त ( अनुमति ) नहीं है । ................ इसको स्वीकार नहीं किया जाएगा । ......................… ये क़ुरआन और सुन्नत के खिलाफ ( विरुद्ध ) है । हमने इन बयानों को कई बार सुना है , मुस्लिम आलिमों ने भी बहुत से फतवे निकाले कई मुद्दों को लेकर , तो एक झलक इन्हीं मुद्दों पर और इन मुद्दों और बदलते माहौल पर लिए गए आलिमों के फैसलों पर । 1. कॉलर लगी शर्ट पहनना या अंग्रेज़ी का इस्तेमाल करना हराम समझा जाता था , पर अब ? ये हमने ब्रिटिश हुकूमत के दौरान करा था कि वो चीज़ें जिनसे ऐसा महसूस हो कि हम ब्रिटिश की मुशाबिहत ( नकल ) कर रहे हैं वो हराम या अवैध हैं । इसलिए शर्ट पहनना , अंग्रेज़ी का इस्तेमाल आदि हराम किया गया था । 2. कॉफी पीना हराम था .. पर अब ? कॉफी के चलन के शुरुवात