फ़र्ज़, सुन्नत और नफिल नमाज़ में फर्क ?
फ़र्ज़, सुन्नत और नफिल नमाज़ में फर्क ? खुर्शीद इमाम ********************* सबसे पहले यह नोट करना बोहोत ज़रूरी है कि इस्लाम में सिर्फ दो तरह की नमाज़ है : 1. फ़र्ज़ - मतलब ज़रूरी । अगर कोई इसे अदा न करे तो ये गुनाह माना जाएगा । 2. नफिल - मतलब इख्तियारी (ऑप्शनल) । अगर कोई अदा करता है तो इसका सवाब मिलेगा, फिर भी अगर कोई अदा न कर सके, तो कोई गुनाह नहीं है । यह गुनाह नहीं माना जाएगा जैसे फ़र्ज़ नमाज़ को छोड़ने का गुनाह है । मुहम्मद स० ने नमाज़ को कभी भी वाजिब, सुन्नत ए मौकिदा, सुन्नत ए गैर मौकिदा , मंदूब, मुस्तहब वगैरह वगैरह में नहीं बांटा । बल्कि ये नाम तो रसूल अल्लाह स० के वक़्त में इस्तेमाल भी नहीं होते थे । ये नाम तो बाद के वक़्त के आलिमों द्वारा आम लोगों की आसानी के लिए रखे गए थे । क़ुरआन और नबी स० की हिदायत किसी भी काम को सिर्फ दो हिस्सों में बांटते हैं : ज़रूरी [फ़र्ज़] या इख्तियारी [नफिल] । बाद के आलिमों ने नफिल को और कई दर्जों में बांट दिया : 1. वाजिब : वो जो नबी स० अक्सर किया ही करते थे । 2. सुन्नत-ए-मौकिदा : वो जो नबी स० ज़्यादातर किया करते थे । 3. सुन्