क़ुरआन की जन्नत और मुसलमानों की जन्नत
क़ुरआन की जन्नत और मुसलमानों की जन्नत
"खुर्शीद इमाम"
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अलग अलग जगहों पर क़ुरआन ने उन क्वालिटीज़ का ज़िक्र किया है जो जन्नत में जाने के लिए होनी चाहिए, सूरह रा'द (13) की आयत नंबर 19-24 तक जन्नत के लोगों (अहले जन्नत) की ऐसी तफसीर पढ़कर शादाब बड़ा ही खुश था,👇क़ुरआन 13:19 ... इस के सिवा नहीं कि अक्ल वाले ही समझते हैं (जो सोचते हैं, जो गौरो फिक्र करते हैं, जो अपनी अक्ल का इस्तेमाल करते हैं) ।
क़ुरआन 13:20 ... वह जो अल्लाह का अहद पूरा करते हैं और पुख्ता कौल औे इकरार नहीं तोड़ते (ऐसे लोग जो अपने वादों और एग्रीमेंट्स की कद्र करते हैं) ।
क़ुरआन 13:21 ... और वह लोग जो जोड़े रखते हैं जिस लिए अल्लाह ने हुक्म दिया है कि जोड़ा जाए, और वह अपने रब से डरते हैं, और बुरे हिसाब का खौफ खाते हैं (क़ुरआन रिश्तों नातों को कायम रखने और उन्हें मज़बूत बनाने पर ज़ोर देता है और बंटने से रोकता है, वो अपने बुरे हिसाब से डरते हैं) ।
क़ुरआन 13:22 ... और जिन लोगों ने अपने रब की खुशी हासिल करने के लिए सब्र किया, और उन्होंने नमाज़ कायम की, और जो हम ने उन्हें दिया है उस से खर्च किया पोशीदा और ज़ाहिर, और वह नेकी से बुराई को टाल देते हैं वही हैं जिनके लिए आख़िरत का घर है (वो बुराई को नेकी से बदल देते हैं) ।
क़ुरआन 13:23 ... हमेशगी के बागात (हैं) उन में वह दाखिल होंगे, और वह जो उनके बाप दादा, और उन की बीवियों, और औलाद में से नेक हुए और उन पर हर दरवाज़े से फरिश्ते दाखिल होंगे (यह कहते हुए कि)👇
क़ुरआन 13:24 ... "तुम पर सलामती हो इसलिए कि तुम ने सब्र किया बस खूब है आख़िरत का घर" ।
कम लफ़्ज़ों में, क़ुरआन ने जन्नत के लोगों की ये क्वालिटीज़ बताई हैं👇
A. अक्ल से काम लेने वाले, सोचने समझने वाले ।
B. वादों को पूरा करने वाले/ अपनी बात पर कायम रहने वाले ।
C. इस बात का खौफ रखने वाले जी इंसान को अपने हर अमल का हिसाब देना है ।
D. रिश्तों नातों और जुड़ाव को बचाए और संभाले रखने वाले ।
E. सब्र करने वाले ।
F. नमाज़ कायम करने वाले ।
G. अल्लाह ने जो दिया है उस से खर्च करने वाले ।
H. बुराई से अच्छे अखलाक़ और नेकी के साथ निबटने वाले ।
जन्नत सलामती वाले लोगों के लिए हैं; यही वजह है कि फरिश्ते उन्हें लफ्ज़ "सलामती" से नवाज़ेंगे.
अचानक शादाब को याद आया कि बचपन से उसने क्या सीखा है ? अपने वालिदैन से, मस्जिदों के खुत्बों से, इस्लामिक जलसों के लाउडस्पीकरों से तो उसने यही समझा था कि जन्नत में जाने के लिए इंसान को ये सब चाहिए:👇
1. ज़िन्दगी में एक बार दिल से या ज़बान से कलमा पढ़ लो ।
या...
2. या 73 में से एक जन्नती फिरके का हिस्सा बन जाओ ।
या ...
3. या पूरी ज़िन्दगी में सिर्फ एक छोटी सी नेकी कर लो ।
या...
4. दाढ़ी रख को और सही लंबाई का सलवार या पजामा पहन लो ।
या...
5. अल्लाह के 99 नाम याद कर लो ।
...... ।"
शादाब ने कहा, "क़ुरआन का इस्लाम मुसलमानों के इस्लाम से बोहोत अलग है"
क़ुरआन दीन का फित्री, तर्कसंगत, अक्ल में आने वाला और इंसानी उसूल देता है
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शादाब ने उतना ही सुना था और उतना ही समझा था जितनी शादाब की समझ थी, जितना शौक़ था। तलब से ज़्यादा समझाओ तो भी लोग नहीं समझते। इसलिए जन्नत में शादाब भी जाएगा क्योंकि जितना पता था, उतना किया तो सही।
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