हिन्दुओं के पूर्वज कौन थे ?

हिन्दुओं के पूर्वज मुसलमान थे?

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पिछले कुछ वर्षों से भारत मे नफरत की राजनीति अपने चरम सीमा पे है। इसी का हिस्सा है एक दुष्प्रचार जिसमे भारतीय हिन्दुओं को ये बता के भ्रमित किय जा रहा है कि भारतीय मुसलमान के पूर्वज हिंदू थे। भोले भाले लोग इस विषय को आपसी नफरत का विषय बना लेते है।

1. भारतीय कौन है?

जो भारत का है वो भारतीय है। भारत मे कौन है: सनातन धर्मी, मुस्लिम, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, नास्तिक, आदिवासी, लिंगायत इत्यादि।

भारत का इतिहास कितना पुराना है? 1000 वर्ष, 5000 वर्ष यह शायद उससे भी पुराना।

सदियों तक बौद्धों ने भारत पे राज किया। कभी छोटे छोटे राज्यों मे बंटे हिन्दुओं ने, कभी मुसलमानों ने राज किया, कभी अंग्रेजों का शासन रहा। पिछले कुछ वर्षों से ब्राह्मणों की हुकूमत है। 

भारत केवल एक सीमा का नाम नही है। ये सीमा तो बदलती रही है। कभी भारत के अंदर ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, बर्मा, भूटान, कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड भी आता था। बाद मे स्वयं भारतीयों ने इसका विभाजन किया और कई विभाजनों के उपरांत आज का भारत हमारे सामने है।

तो हम अफगानिस्तान के भाई बहन, पाकिस्तान के भाई बहन, श्रीलंका के भाई बहन, भूटान-बर्मा-बांग्लादेश के भाई बहन, मलेशिए-इंडोनेशिया के भाई बहन को खो चुके।

जितने भी लोग पुराने भारत मे थे(यानी ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, बर्मा, भूटान, कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड) वो सब भी हमारे ही पूर्वज थे।

2. हिंदू कौन है?

ये सर्वसम्मत बात है की भारतवर्ष मे जो भी रहता है वो हिंदू कहलाता है। हिंदू किसी धर्म का नाम नही। भारत में रहने वाला सनातन धर्मी, मुस्लिम, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, नास्तिक, आदिवासी, लिंगायत इत्यादि ये सब हिंदू कहलायेंगे क्योंकि ये भारत मे रहते हैं।

# इन्ही हिन्दुओं मे से जो केवल एक ईश्वर की उपासना करते हैं वो मुसलमान कहलाते हैं।

# इन्ही हिन्दुओं मे से जो यीशु मसीह को ईश्वर मानते है वो ईसाई कहलाते हैं।

# इन्ही हिन्दुओं मे से जो बहुत सारे देवी देवताओं को ईश्वर मानते वो स्वयं को हिंदू या सनातन धर्मी या दलित कहते हैं।

# इन्ही हिन्दुओं मे से जो बुद्ध के दर्शन को मानते है वो बौद्ध कहलाते हैं।

# इन्ही हिन्दुओं मे से जो महावीर जैन के दर्शन को मानते हैं वो जैनी कहलाते हैं।

# इन्ही हिन्दुओं मे से जो गुरुनानक साहेब के शिक्षाओं को मानते हैं वो सिख कहलाते हैं।

# इन्ही हिन्दुओं मे से जो प्रकृति और उसकी शक्ति को मानते हैं वो आदिवासी कहलाते हैं।

3. मुसलमान

अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है सर्वसमर्पणकर्ता, अर्थात जिसने अपनी इच्छाओं को ईश्वर के समक्ष समर्पित कर दिया है।

4. हमारे पूर्वज कौन थे?

आज से सौ साल पहले जितने लोग थे वह भी हमारे पूर्वज थे।  

# आज से 100 वर्ष पहले - विश्व की जनसँख्या  1.6 अरब थी। वह भी हमारे पूर्वज थे।

# आज से 200 वर्ष पहले - विश्व की जनसँख्या  1 अरब थी। वह भी हमारे पूर्वज थे।

# आज से 500 वर्ष पहले - विश्व की जनसँख्या  45 करोड़ थी। वह भी हमारे पूर्वज थे। 

# आज से 1000 वर्ष पहले - विश्व की जनसँख्या  25 करोड़ थी। वह भी हमारे पूर्वज थे। 

# आज से 1500 वर्ष पहले - विश्व की जनसँख्या  17 करोड़ थी। वह भी हमारे पूर्वज थे। 

समय में हम जितना पीछे जाएंगे, जंसख्या उतनी ही कम होती जाएगी - वो सब हमारे पूर्वज ही थे | 

एक ऐेसा समय भी था जब हमारे पूर्वज के नाम पर केवल एक पुरुष और एक नारी थे। उन्हें भारतीय परंपरा में स्वयंभू मनु [या आदम] एवं शतरूपा [या हव्यवती] कहते हैं। 

इन्ही को इस्लामी परंपरा में आदम और हव्वा कहते हैं। इन्ही को इसाई परंपरा में एड़म और इव कहते हैं।

हमारे सब से पहले पूर्वज - आदम और हव्वा थे

4. आदम का धर्म 

रामचरितमानस [141:1] बताते हैं की आदम और शतरूपा से ही अनूपम सृष्टी की उत्पत्ति हुई।

भविष्य पुराण भी बताते हैं के एक पुरुष और एक नारी सर्वप्रथम थे।

वैसे इस बात पर ध्यान दीजिएगा की आदम और हव्वा ना केवल इस भारत वर्ष के प्रथम पुरुष और स्त्री थे  बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए आदि पुरुष और आदि स्त्री थे ।

विश्व की सभ्यता की शुरूवात भारत वर्ष ही हुई थी इसलिए भारत से ही मानव जाति की उत्पत्ति हुई ।

अब, बुद्धि का प्रयोग करके सोचिए की हमारे पुर्वज के पुर्वज - आदम : उनका धर्म क्या था ?

क्या वह मूर्ति की पुजा करते थे ? क्या वह मनुष्य की पूजा करते थे?

जो प्रथम पुरुष हैं, उसका धर्म वही था जो  ईश्वर ने उसे बताया था । ईश्वर का बताया धर्म - ना की मनुष्य का बनाया  धर्म।

वो जो ईश्वर स्वयं से विद्द्मान था, उसी का बताए सत्मार्ग - सनातन धर्म कहलाता है। सनातन धर्म - ईश्वर की शिक्षाओं पर आधारित है। 

जब जब लोगो ने ईश्वर के संदेश को दूषित किया और अपना अलग धर्म बनाया तब तब ईश्वर ने मानवता के उत्थान के लिए अपने दूत को भेजा। ये दूत भी मनुष्य होते थे जो लोगो को ईश्वर का संदेश देते थे। प्रथम संदेश भारत में आया। बाद के दौर में अलग अलग भाषा में ईश्वर का संदेश आया।

इन सबके बीच ईश्वर का केवल एक ही धर्म रहा जिसे हम सनातन/सबमिशन/इस्लाम कहते है।

याद रहें कि भाषा के बदलने से तथ्य नही बदलता। हमें अपनी संकुचित मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि केवल मेरी भाषा ही पूरे दुनिया की एक भाषा है।

ईश्वर को हम किसी भी भाषा में बुला सकते हैं। संस्कृत में ईश्वर; अरबी में अल्लाह; इंग्लिश में गॉड।

5. सनातन धर्म की ओर घर वापसी

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि प्रथम पुरुष आदम का धर्म वही था जो ईश्वर ने बताया था। इसी को इस्लाम या सनातन कहतें हैं। आदम सनातन धर्मी या मुस्लिम थे

पता ये चला कि भारतीय हिन्दुओं के पूर्वज सनातन धर्मी या मुसलमान ही थे। हम जानते हैं कि भारत में मूर्ति पूजा और बहूत सारी प्रथा बाद में शुरू हुईं। प्राचीन भारत के लोग मूर्ति पूजा नही करते थे।

स्वामी विवेकानंद और बहुत सारे महापुरुषों ने इसके बारे में बताया है।

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी सभ्यता में बहुत सारी बुराइयां भी आ जाती हैं। समझदार लोग इन कुरीतियों को दूर करने का प्रयास करतें हैं।

सती प्रथा, दास प्रथा, जाति प्रथा।

स्वामी विवेकानंद ने भी बताया हैं कि भारतीय संस्कृति में जो बुरी प्रथा है उसे छोड़ देना चाहियें।

बहुत सारे लोगो ने समय समय पर कुरीतियों की त्याग करके स्वामी विवेकानंद के इसी संदेश को सत्य कर दिखाया।

सती प्रथा, जाति प्रथा, दास प्रथा इत्यादि का विरोध भी किया गया।

बड़ी संख्या में लोगों ने बौद्ध धर्म को स्वीकार किया जब उन्हें लगा कि बौद्ध धर्म सत्य मार्ग है।

स्वामी दयानंद सरस्वती ने जब हिन्दू धर्म में बुराइयों को लोगों के सामने रखा और आर्य समाज की स्थापना की तो बहुत सारे लोग हिन्दू धर्म को छोड़ कर आर्यसमाजी हो गए।

ठीक उसी तरह बहुत सारे लोगों ने ईश्वर के धर्म / सनातन या इस्लाम की ओर घर वापसी की जब उन्हें समझ में आया कि ईश्वर का मूल धर्म क्या है।

उसी एक ईश्वर के सनातन धर्म का अन्तिम ग्रंथ क़ुरआन हैं। इसके आने के बाद जिन लोगों ने अन्तिम ग्रंथ को ईश्वरवाणी मान के ग्रहण किया उन्हें ही मुस्लिम कहतें हैं।

साथ ही साथ ये भी कहना चाहूंगा कि केवल स्वयं को मुस्लिम कहने से ईश्वर की नज़र में कोई मुस्लिम नहीं हो जाएगा जब तक उसका आचरण क़ुरआन अनुरूप नहीं हो।

निष्कर्ष:

भारतीय मुसलमान और भारतीय हिन्दू - सबके पूर्वज एक आदम और एक हव्वा थे: हम सब उसी की संतान हैं। आदम का धर्म - इस्लाम या सनातन था। आदम मुस्लिम थे यानी सनातन धर्मी। हम सब उसी आदम की संतान हैं इसलिए स्वयं को आदमी कहतें हैं।

आशा करता हूँ कि भारतीय हिन्दू और मुसलमान मिल कर समान जड़ को तलाश करेंगे। प्रेम और सौहार्द के साथ।


YouTube video link: https://www.youtube.com/watch?v=0vPHliYOfKk


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