क्या यह पूर्वनिर्धारित है कि कौन स्वर्ग अथवा नरक में प्रविष्ट होगा?

क्या ईश्वर की ओर से यह पूर्वनिर्धारित है कि कौन स्वर्ग अथवा नरक में प्रविष्ट होगा? पवित्र कुरआन 7:179 विश्लेषण

खुर्शीद इमाम 
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अल-आराफ़ 7:179

"निश्चित रूप से हमने जिन्न और मनुष्यों की बहुसंख्या नरक के लिए पैदा की है। उनको बुद्धि दी है पर वो सोचते नही, उनको आंखें दी हैं पर वो देखते नही, उनको कान दिए पर वो (सत्य) सुनते नही। वह मवेशियों जैसे है; अपितु वह उस भी निकृष्ट हैं! ये बेपरवाह लोग हैं।

प्रश्नकर्ता: ईश्वर कहता है उसने कुछ जिन्न और मनुष्य नरक के लिए ही बनाए हैं, तो क्या ईश्वर की ओर से यह पूर्वनिर्धारित है कि कौन स्वर्ग अथवा नरक में प्रविष्ट होगा?

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हमे सूरहअल-आराफ़ की कुछ आयात पढ़नी चाहिए:

180- और, ईश्वर के ही सर्वोत्तम नाम है अतः उसे ही पुकारो, और उन्हें अकेला छोड़ दो जो उसके नामों की पवित्रता का उल्लंघन करते हैं: उन्हें उनके कर्मों का फल (बदला) मिलेगा

181- और वो लोग जिन्हें हमने सत्य के मार्गदर्शन हेतु उत्पन्न किया है, वह न्याय करेंगे।

182- और वह, जो हमारे संदेश को नकारते हैं, उनको हम अंशतः (विनाश के) समीप खींच लेते हैं, जहां से उनको राह नही दिखती।

क्या उक्त आयात में ईश्वर ने कहीं कहा कि, स्वर्ग और नरक में जाना पूर्वनिर्धारित है?

उपरोक्त आयात (7:179) में इस कथन (जिन्न और मनुष्य नरक की आग में जाएंगे) के तुरंत बाद ईश्वर ने कारण स्पष्ट किये। उक्त आयात से जो निष्कर्ष निकाले गए वह स्वयं आयात के पूर्ण अर्थों के विरुद्ध हैं।

उक्त आयात, लोगों के नर्क में प्रविष्ट होने के निम्न कारण बताती है:
1) वह समझने/मंथन करने की अपनी क्षमता का प्रयोग नही करते।

2) उनका दृष्टिकोण, अंध विश्वास पर आधारित होता है (यह कारण, मुस्लिमों और अन्य धर्मावलंबियों में सर्वाधिक पाया जाता है।)

3) नर्क में प्रवेश, उनके अपने कर्मों के फल है।

उक्त आयत में ईश्वर का कथन है कि नरक, मनुष्यों एवं जिन्नों के लिये है, जिसका कारण उनका अपनी बुद्धि/विवेक/मानसिक क्षमताओं का प्रयोग न करना है।

अतः, पवित्र कुरआन ने यह कदापि नही कहा की ईश्वर ने निश्चित/नियत कर दिया स्वर्ग अथवा नरक में कौन प्रविष्ट होगा, अपितु वह "नियम" निश्चित किये जिनके प्रकाश में मनुष्य पथप्रदर्शन अथवा पथभ्रष्टता को प्राप्त करेगा।

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