किस न्यूनतम दूरी की यात्रा पर, व्रत(रोज़ा) रखना वैकल्पिक है?

किस न्यूनतम दूरी की यात्रा पर, व्रत(रोज़ा) रखना वैकल्पिक है?

खुर्शीद इमाम 
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यात्रा के दौरान, पवित्र कुरआन, व्रत (रोज़ा) को वैकल्पिक घोषित करता है। यात्रा के दौरान रोज़ा न रखना बेहतर माना गया है। प्रश्न यह है कि किस न्यूनतम दूरी की यात्रा में यह विकल्प उपलब्ध होता है? विद्वानों का मानना है कि यह दूरी 48 मील अर्थात 77 किलोमीटर है।

इस आधार पर निम्न दो परिदृश्य पर ध्यान दें:

क) मैं एक निर्धन श्रमिक हूँ, रमज़ान का महीना है और मुझे सायकिल पर एक भारी बोझ लेकर 40 किलोमीटर का सफर करना है। भारी बोझ और गरम मौसम के कारण, यह एक अत्यंत थकाने वाली यात्रा होगी। परन्तु मुझे रोज़ा रखने से छूट नही मिल सकती क्योंकि मैं 77 किलोमीटर की यात्रा नही कर रहा।


ख) द्वितीय परिदृश्य में मैं एक धनी व्यक्ति हूँ, मुझे दिल्ली में एक संगोष्ठी में सम्मिलित होना है। में बंगलोर से फ्लाइट लेकर 2 घंटे में दिल्ली पहुँच जाऊंगा। एयरपोर्ट से AC कार से संगोष्ठी हॉल जो स्वयं वातानुकूलित है, में पहुँच जाऊंगा। रमज़ान का माह है परंतु में रोज़ा नही रखूंगा क्योंकि मेरी यात्रा 77 किमी से अधिक है।

यह स्पष्ट है कि प्रथम परिदृश्य की यात्रा कठिन, कष्टकारी और थकाने वाली है परंतु यात्रा की दूरी 77 किमी से कम होने के कारण "रोज़ा" की छूट नही है। जबकि दूसरी ओर बंगलोर से दिल्ली की यात्रा सुगम और सरल है। सामान्य समझ के अनुसार रोज़ा रखने में छूट प्रथम परिदृश्य में मिलनी चाहिये।

हमे समझना चाहिए कि क़स्र सलाह और रोज़ा में छूट के लिए यात्रा की दूरी की परिभाषा समय के साथ परिवर्तित होती है। ईशदूत (PBUH) के समय से अब तक यात्रा के साधन बदल गए हैं, यात्रा की परिभाषा भी बदली है। उस समय जो यात्रा 7 दिन पूरी होती थी, आज कुछ घंटों में संभव है।

आज आवश्यकता है कि धार्मिक विद्वान, यात्रा की परिभाषा पर मंथन करें और उस दूरी अथवा समय पर इज्तिहाद करें, जिसके ऊपर रोज़ा, अनिवार्य से वैकल्पिक हो जाता है।

उन्हें निम्न आधारों को ध्यान में रखना होगा:
भौगोलिक परिस्थितियों, मौसम, यात्रा के साधन, यात्री की आयु, इत्यादि।

चूंकि आज हमारे पास विकल्प है कि बैलगाड़ी से यात्रा करें अथवा हवाई जहाज से...अतः हमें एक एक ऐसी गणना-सारणी बनानी चाहिए जिसके द्वारा लोगों को ज्ञात हो सके कि किस यात्रा में रोज़ा में छूट मिल सकती है।

साथ ही यह भी विदित है कि ईशदूत(PBUH) ने सैद्धान्तिक रूप से यात्रा की कोई दूरी निर्धारित नही की है जिस पर रोज़ा में छूट प्राप्त हो सके।

चूंकि पवित्र कुरआन dynamic पुस्तक है अतः इसमे यात्रा को परिभाषित नहीं किया गया है। पवित्र कुरआन ने एक सिद्धान्त दिया कि यात्रा के दौरान रोज़ा रखना अनिवार्य नही। और यात्रा की परिभाषा समय के साथ परिवर्तित होती रहेगी।

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