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हाल की दुखद घटना, धार्मिक ग्रंथों में हिंसा और सोशल मीडिया की भूमिका

  भाग 1: हाल की दुखद घटना और सोशल मीडिया की भूमिका हाल की हत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है और सभी में ग़म का माहौल है। इस समय में लोग स्वाभाविक रूप से सरकार, कानून प्रवर्तन और न्याय व्यवस्था से अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने की उम्मीद रखते हैं। हालांकि, इस दुखद घड़ी में कुछ अतिवादी तत्व इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं, साम्प्रदायिक नफरत फैलाने, समाज में दरार डालने और हिंसा को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं।  मुसलमानों के खिलाफ धमकियां, उनके जीवन पर हमले, और नफरत फैलाने वाली बयानबाजी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह फैल रही हैं, जिससे डर और अविश्वास का माहौल बन रहा है। ऐसे उथल-पुथल भरे समय में, यह अनिवार्य है कि राज्य, नागरिक समाज, और जिम्मेदार नागरिक मिलकर यह सुनिश्चित करें कि न्याय मिले और हिंसा या साम्प्रदायिक तनाव में वृद्धि न हो। 1. सरकार और कानून प्रवर्तन की भूमिका a) त्वरित और निष्पक्ष जांच: सरकार को हत्या की घटना की त्वरित और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करनी चाहिए। अपराधियों की पहचान हो और उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत सजा दिलवाई जाए। कानून प्रवर्तन ए...

कमज़ोर से ताक़तवर बनो: मुस्लिम समाज के लिए एक ज़रूरी संदेश

  कमज़ोर से ताक़तवर बनो: मुस्लिम समाज के लिए एक ज़रूरी संदेश खुर्शीद इमाम ******************************************************** आज पूरी मुस्लिम दुनिया संकट में है — अफ़रा-तफ़री, बेबसी, मायूसी और खत्म न होने वाला दुख। भारत से लेकर फिलिस्तीन तक मुसलमानों की हालत बेहद दर्दनाक है। इसकी सबसे बड़ी वजह? कमज़ोरी । इस दुनिया में जहाँ ताक़त की चलती है, वहाँ हम पीछे रह गए। जब ताक़त हासिल करने का समय था, हम दूसरी बातों में उलझे रहे। इस्लामी इतिहास की तीन बड़ी ग़लतियाँ यही थीं: हदीस को क़ुरान से ऊपर रखना दीन और दुनिया को अलग करना उलमा की  अंधभक्ति  करना हमें बार-बार कहा गया: "तीन तरह की दुआ हमेशा क़बूल होती है..." लेकिन अरबों मुसलमानों की दुआएं भी क्या ग़ज़ा का कत्लेआम रोक पाईं? सोचिए! क्या हम इस्लाम को सही तरीके से समझ पाए हैं? इन ग़लतियों ने हमें अंदर से धीरे-धीरे कमज़ोर कर दिया। और आज भी कुछ मौलवी लोग इन्हीं छोटे मुद्दों में उलझे हुए हैं — खलीफा कौन बेहतर था, अक़ीदा-अक़ीदा की बहस, पहनावे और आदतों पर बातें — जब कि उम्मत की हालत बहुत बुरी है। दूसरी ओर कुछ तथाकथित ...